Wednesday, November 7, 2012

सही जानकारी दूर करेगी केवाईसी फार्म की परेशानी ( Right Information wil solve the problem of KYC form )

कैसें भरे केवाईसी फार्म
केवाईसी फार्म भरने के लिए कुछ एजेंसी संचालकों ने पहचानपत्र, निवासी प्रमाणपत्र, राशनकार्ड लाने की सख्ती की है. राशनकार्ड नहीं होने पर न्यायालयीन शपथपत्र मांगा जा रहा है. नियमानुसार एक प्रमाणपत्र आवश्यक है. जिन उपभोक्ताओं के पास राशनकार्ड नहीं हैं, उन्हें कोरे कागज पर 'मेरे पास राशनकार्ड नहीं है' लिख कर देना अथवा फार्म पर निशान लगाना है. केवाईसी में बैंक का खाता क्रमांक देने की आवश्यकता नहीं है. जिनके नाम पर गैस कनेक्शन और एस.वी. (सबस्क्राइबर वाउचर) है, केवल उन्हीं को यह फार्म भरना है. एजेंसी संचालकों द्वारा केवाईसी फार्म के संबंध में बढ.ाई गईं पेचीदगियों को देखते हुए ग्राहक पंचायत के साथ बैठक में कई बातें साफ हुई हैं. इसके अनुसार केवाईसी फार्म भरने की अंतिम तारीख 31 मार्च2013 है. फार्म नि:शुल्क है. उपभोक्ता को संबंधित एजेंसी में जाने की आवश्यकता नहीं है. सिलेंडर पहुंचाने वाले कर्मचारी के हाथों केवाईसी फार्म भिजवाए जाएंगे. उपभोक्ता फार्म भर कर उसके साथ पहचानपत्र और निवासी प्रमाणपत्र की जेरॉक्स जोडे.ं. उक्त कर्मचारी वह फार्म उसी दिन या अगले दिन अपने साथ लेकर जाएगा.   

'केयर ऑफ' का कनेक्शन
अनेक गैस उपभोक्ताओं के पास 'केयर ऑफ'वाले कनेक्शन हैं. इसका मतलब यह है कि वे जिस सिलेंडर का इस्तेमाल कर रहे हैं उसका निवासी पता जरूर उनका है, लेकिन कनेक्शन किसी और के नाम पर है. जिस वक्त नए गैस कनेक्शन आसानी से नहीं मिलते थे, उस समय 'केयर ऑफ' के कनेक्शन एजेंसी संचालकों द्वारा मनमाने दाम पर बेचे गए थे. यानी इसकी जिम्मेदारी गैस एजेंसी संचालकों के साथ संबंधित कंपनी की भी है. ऐसी स्थिति में जिन उपभोक्ताओं के पास 'केयर ऑफ' के गैस कनेक्शन हैं, उन्हें सिलेंडर उपलब्ध कराने का पूरा दायित्व एजेंसी संचालकों का होने की बात ग्राहक पंचायत के पदाधिकारियों ने कही है. कंपनी अधिकारियों के अनुसार 'केयर ऑफ' के उपभोक्ताओं को सिलेंडर नहीं दिए जाएंगे. लेकिन, ग्राहक पंचायत ने इस समस्या का समाधान खोज निकाला है. जिनके पास 'केयर ऑफ' का गैस कनेक्शन है (संबंधित उपभोक्ता के पास एस.वी. यानी मूल दस्तावेज होना आवश्यक), वे इसे लौटा कर अपने नाम पर नया कनेक्शन बनवा लें. 'केयर ऑफ' सिलेंडर और रेगुलेटर की एस.वी. में दर्ज डिपॉजिट राशि कनेक्शन लौटाने पर जिनके पास यह कनेक्शन है, उन्हें दी जाएगी. उपभोक्ता वर्तमान डिपॉजिट और एस.वी. डिपॉजिट के बीच आने वाले अंतर के अनुसार राशि का भुगतान कर नया कनेक्शन हासिल करें. गैस कंपनियों ने इसे स्वीकार किया है. इसके चलते नया कनेक्शन लेने तक किसी को सिलेंडर से वंचित नहीं रखा जाएगा.

नि:शुल्क ट्रान्सफर
जिनके बीच खून का रिश्ता है, यानी माता अथवा पिता के नाम वाला कनेक्शन पुत्र अथवा पुत्री के नाम ट्रान्सफर करने के लिए किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लगता. एस.वी. में दर्ज केवल नाम बदलेंगे ऐसी व्यवस्था ग्राहक पंचायत ने की है. इससे पहले इस तरह के ट्रान्सफर के लिएभी शुल्क लिया जाता था. पति-पत्नी अथवा माता-पिता इनमें से किसी की मृत्यु होने पर गैस कनेक्शन उनके वारिस यानी पति का कनेक्शन पत्नी के नाम, पत्नी का कनेक्शन पति के नाम अथवा माता या पिता का गैस कनेक्शन पुत्र या पुत्री के नाम नि:शुल्क ट्रान्सफर किया जाता है.

'एक रसोईघर, एक कनेक्शन'
अभी तक 'एक घर, एक कनेक्शन' के प्रचार-प्रसार से उपभोक्ताओं में संभ्रम की स्थिति बनी हुई थी. एक पते पर एक से अधिक कनेक्शन होने पर उन्हें रद्द करने की सूचना जारी की गई थी. उपभोक्ताओं की इस समस्या का ग्राहक पंचायत ने तीनों गैस कंपनियों के अधिकारियों के साथ बैठक कर निवारणकिया. नियमानुसार 'एक रसोईघर, एक कनेक्शन' होना चाहिए. जैसे एक घर में यदि चार भाई रहते हैं, सभी के पास अलग-अलग गैस कनेक्शन हैं और रसोईघर भी अलग हैं तो उनके कनेक्शन वैध माने जाएंगे. उन्हें सब्सिडी वाले निर्धारित सिलेंडर देने की जिम्मेदारी एजेंसी संचालकों की है. इसका अर्थ यह है कि एक निवासी पते पर अलग-अलग नामों पर एक से अधिक कनेक्शन रह सकते हैं. इस बात की पुष्टि स्वयं कंपनी के अधिकारियों ने ग्राहकक केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल, डीजल की कीमतों में की गई वृद्धि तथा सिलेंडर आपूर्ति के नियमों में किए गए बदलाव के कारण आम जनता में तीव्र रोष है. नए नियमों का हवाला देकर गैस एजेंसी संचालक नाहक उपभोक्ताओं को परेशान कर रहे हैं. केवाईसी फार्म भरना अनिवार्य कर देने से एजेंसियों के सामने उपभोक्ताओं की कतारें लगी रहीं. एजेंसी संचालकों की मनमानी के चलते नि:शुल्क मिलने वाला केवाईसी फार्म उपभोक्ताओं को 10 से 15 रुपए में खरीदने को विवश होना पड.ा. सही जानकारी होने पर उपभोक्ता विभिन्न परेशानियों से बच सकते हैं. 

Lokmat News

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